मसाई एक जनजाति है, जो कि पूर्वी अफ्रीका में निवास करती है। मसाई अपने मवेशी और उनके खेतों के पास चरागाह मैदानों पर छोटे परंपरागत घरों में रहना पसंद करते हैं। मसाई महिलाएं अपने घरों का निर्माण करती हैं।
सबसे पहले, वे आयताकार, जमीन घर के आकार का खाका खीचते हैं। वे शाखाएं और टहनियों को जोड़कर बुनाई करके एक फ्रेम बनाते हैं फिर, वे इमारत को सूखी रखने के लिए बाहर घास और गोबर का मोटी परत लगा देते हैं। यह करना आवश्यक है, क्योंकि बहार का मौसम नम होता है।
मसाई लोगों के घर के अंदर सिर्फ एक कमरा होता है। लगभग छह लोग एक साथ एक बड़ी शाखाओं से बनी एक बड़े बिस्तर में सोते हैं। घर के अंदरूनी कोने में मां और बच्चे सोते हैं।
घर के अन्दर सेंटर में एक आग जलाने का स्थान होता हैं। यहीं पर आग जलाइ जाती है। यह खाना पकाने, गर्मी और प्रकाश के लिए भी प्रयोग किया जाता है। मसाई के घर में कोई खिड़कि नहीं होती हैं। केवल एक छोटा रोशनदान प्रकाश अंदर आने और धुआं बाहर करने के लिए रखा जाता है।
पशु मसाई परिवार के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बछड़ों और बकरियां को घर के अंदर एक विशेष स्थान में रखा जाता हैं। वे लंबे बर्तन में दूध पीते हैं,जिसको कुलाबा कहा जाता है। जिसको खोखला हुआ लौंडे से बनाया जाता है।
सबसे पहले, वे आयताकार, जमीन घर के आकार का खाका खीचते हैं। वे शाखाएं और टहनियों को जोड़कर बुनाई करके एक फ्रेम बनाते हैं फिर, वे इमारत को सूखी रखने के लिए बाहर घास और गोबर का मोटी परत लगा देते हैं। यह करना आवश्यक है, क्योंकि बहार का मौसम नम होता है।
मसाई लोगों के घर के अंदर सिर्फ एक कमरा होता है। लगभग छह लोग एक साथ एक बड़ी शाखाओं से बनी एक बड़े बिस्तर में सोते हैं। घर के अंदरूनी कोने में मां और बच्चे सोते हैं।
घर के अन्दर सेंटर में एक आग जलाने का स्थान होता हैं। यहीं पर आग जलाइ जाती है। यह खाना पकाने, गर्मी और प्रकाश के लिए भी प्रयोग किया जाता है। मसाई के घर में कोई खिड़कि नहीं होती हैं। केवल एक छोटा रोशनदान प्रकाश अंदर आने और धुआं बाहर करने के लिए रखा जाता है।
पशु मसाई परिवार के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बछड़ों और बकरियां को घर के अंदर एक विशेष स्थान में रखा जाता हैं। वे लंबे बर्तन में दूध पीते हैं,जिसको कुलाबा कहा जाता है। जिसको खोखला हुआ लौंडे से बनाया जाता है।
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