सफलता के लिए एकाग्रता अनिवार्य
दोस्तों आज मै एक कहानी के माध्यम से अपनी बात कहने का प्रयास का रहा हूँ।वैसे यह कहानी तो बहुत पुरानी है, लेकिन इसका जो सार है वह आज भी प्रासंगिक है।
यह कहानी भारतीय पौराणिक कथा महाभारत के एक प्रसंग पर आधारीत है। गुरु द्रोणाचार्य अपने आश्रम में सभी शिष्यों को धनुर्विद्या का प्रशिक्षण दे रहे थे। गुरु द्रोणाचार्य ने एक बार अपने सभी शिष्यों से उनकी परीक्षा लेना चाहा। उन्होंने अपने सभी शिष्यों से पेड़ पर बैठी चिड़िया के आँख पर निशाना लगाने को कहा। तीर छोडने से पहले अपने सभी शिष्यों से बारी-बारी से एक प्रश्न किया,और पूछा की बतओ तुमको पेड़ पर क्या क्या दीख रहा है ?तब किसी शिष्य ने कहा पेड़ की डाली ,पत्ति आदि। किसी ने कहा पेड़ पर बैठी चिड़िया। एक ने कहा गुरुजी मुझे आप, सभी शिष्य, चिड़िया सब दिख रहा है । लगभग सभी शिष्यों का यही जवाब था। किन्तु जब अर्जुन की बारी आई तो गुरु ने अर्जुन से भी वही सवाल दोहराया तो उसने कहा- गुरुदेव मुझे सिर्फ चिड़िया की आँख ही दीख रही है। अर्जुन की एकाग्रता को देख के गुरुजी समझ गए की सभी शिष्यों में केवल अर्जुन ही ऐसा है जो की चिड़िया की आँख में निशाना लगा सकता है, और सभी ने जब निशना साधा तो बिलकुल वैसा ही हुआ केवल अर्जुन का ही निशाना लक्ष्य को भेद पाया।
इस कहानी का एकमात्र सन्देश है - किसी भी वांछित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बहुत आवश्यक है। जीवन में सभी लोग सफल होना चाहते है, उनमें कई लोग लक्ष्य को पाने के लिये परिश्रम भी करते है, उनमें सहस भी होता है। किन्तु सफल नहीं हो पाते उनके असफलता का गहराई से विश्लेषण करने पर यह तथ्य सामने आता है कि उनके अंदर लक्ष्य के प्रति एकाग्रता का अभाव होता है।
काम के दौरान हमरा ध्यान भंग होता है,एकाग्रता नष्ट होती है, ऐसा क्यों होता है ? इसके कारण एवम् उसके निवारण पर यदि हम ध्यान दें तो कुछ प्रमुख बातें उभर कर सामने आती है। जिनकी व्याख्या हम निम्न बिन्दुओ के आधार पर कर सकते हैं।
यदि अपनी शक्ति को आप एक स्थान पर स्थिर नहीं रख सकते तो आप कभी भी कोई महान कार्य नहीं कर सकते हैं और अपनी इस शक्ति को एकत्रित करने अर्थात एकाग्रता के लिए चाहिए दृढ संकल्प ,धैर्य , लक्ष्य निर्धारण और लगन। अगर आप सच में कोई बड़ी सफलता चाहते है तो इस शक्ति को पहचानिए और एकाग्र मन से हर कार्य को कीजिये। सफलता आपको अवश्य प्राप्त होगी।
-: धन्यवाद :-
दोस्तों आज मै एक कहानी के माध्यम से अपनी बात कहने का प्रयास का रहा हूँ।वैसे यह कहानी तो बहुत पुरानी है, लेकिन इसका जो सार है वह आज भी प्रासंगिक है।
यह कहानी भारतीय पौराणिक कथा महाभारत के एक प्रसंग पर आधारीत है। गुरु द्रोणाचार्य अपने आश्रम में सभी शिष्यों को धनुर्विद्या का प्रशिक्षण दे रहे थे। गुरु द्रोणाचार्य ने एक बार अपने सभी शिष्यों से उनकी परीक्षा लेना चाहा। उन्होंने अपने सभी शिष्यों से पेड़ पर बैठी चिड़िया के आँख पर निशाना लगाने को कहा। तीर छोडने से पहले अपने सभी शिष्यों से बारी-बारी से एक प्रश्न किया,और पूछा की बतओ तुमको पेड़ पर क्या क्या दीख रहा है ?तब किसी शिष्य ने कहा पेड़ की डाली ,पत्ति आदि। किसी ने कहा पेड़ पर बैठी चिड़िया। एक ने कहा गुरुजी मुझे आप, सभी शिष्य, चिड़िया सब दिख रहा है । लगभग सभी शिष्यों का यही जवाब था। किन्तु जब अर्जुन की बारी आई तो गुरु ने अर्जुन से भी वही सवाल दोहराया तो उसने कहा- गुरुदेव मुझे सिर्फ चिड़िया की आँख ही दीख रही है। अर्जुन की एकाग्रता को देख के गुरुजी समझ गए की सभी शिष्यों में केवल अर्जुन ही ऐसा है जो की चिड़िया की आँख में निशाना लगा सकता है, और सभी ने जब निशना साधा तो बिलकुल वैसा ही हुआ केवल अर्जुन का ही निशाना लक्ष्य को भेद पाया।
इस कहानी का एकमात्र सन्देश है - किसी भी वांछित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बहुत आवश्यक है। जीवन में सभी लोग सफल होना चाहते है, उनमें कई लोग लक्ष्य को पाने के लिये परिश्रम भी करते है, उनमें सहस भी होता है। किन्तु सफल नहीं हो पाते उनके असफलता का गहराई से विश्लेषण करने पर यह तथ्य सामने आता है कि उनके अंदर लक्ष्य के प्रति एकाग्रता का अभाव होता है।
काम के दौरान हमरा ध्यान भंग होता है,एकाग्रता नष्ट होती है, ऐसा क्यों होता है ? इसके कारण एवम् उसके निवारण पर यदि हम ध्यान दें तो कुछ प्रमुख बातें उभर कर सामने आती है। जिनकी व्याख्या हम निम्न बिन्दुओ के आधार पर कर सकते हैं।
- सकारत्मक दृष्टिकोण :-किसी भी लशय को प्राप्त करने के लिये सकारात्मक दृश्टिकोण आवश्यक होता है।
- चिंतामुक्त वातावरण :- चिंता किसी भी समस्या का बड़ा कारन है। यदि आप कोई बड़ी उपलब्धि चाहते हैं तो चिंतामुक्त होकर अपने कार्य को लगातार करते रहें।
- मानसिक स्थिरता :- जिस व्यक्ति का उद्देश्य स्थिर होता है, उसे कोई पराजित नहीं कर सकता।
यदि अपनी शक्ति को आप एक स्थान पर स्थिर नहीं रख सकते तो आप कभी भी कोई महान कार्य नहीं कर सकते हैं और अपनी इस शक्ति को एकत्रित करने अर्थात एकाग्रता के लिए चाहिए दृढ संकल्प ,धैर्य , लक्ष्य निर्धारण और लगन। अगर आप सच में कोई बड़ी सफलता चाहते है तो इस शक्ति को पहचानिए और एकाग्र मन से हर कार्य को कीजिये। सफलता आपको अवश्य प्राप्त होगी।
-: धन्यवाद :-
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