19/3/19

आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते

दोस्तों मेरे आज के कहानी का शीर्षक है कि आप कुछ भी करिए सभी व्यक्तियों को या सभी लोगों को आप एक साथ खुश नहीं कर सकते है आप चाहे जो भी कर लीजिए आप कितना भी कुछ कर लीजिए किसी ना किसी के लिए आप में कुछ दोष या कुछ बुराई या कुछ कमी जरूर नजर आएगी तो मेरे कहने का मतलब यह है, कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से परफेक्ट नहीं है या संपूर्ण नहीं है ठीक है दोस्तों इस  इस संबंध में आपको मैं एक कहानी के माध्यम से यह बात बताना चाहूंगा, है तो दोस्तों बहुत कुछ दिन पहले की बात है कि किसी गांव में एक किसान रहता था वह किसान एक दिन अपने पुत्र के साथ अपने कृषि उत्पाद को विक्रय के लिए बाजार जाता है, बाजार में उसके उस सामान की अच्छी कीमत मिलती है उसके बाद वे दोनों जब वापस आते रहते हैं तो उनको रास्ते में या यूं कहिए बाजार में ही पशुओं के मंडी में एक  विक्रय के लिए गधा दिखाई देता है पिता पुत्र दोनों आपस में सलाह करते हैं और सोचते हैं क्यों ना हम इस गधे को खरीद लें ताकि हमारे कृषि संबंधी जो भी उत्पाद होगा उनको उठाने के लिए हमारी सहायता हो जाएगी या फिर हम हमें मदद मिल जाएगी ठीक है इसके बाद वे दोनों उस गधे को खरीद लेते हैं उसके बाद दोनों अपने घर के लिए वापस आने लगते हैंरास्ते में जब दोनों वापस आते रहते हैं पिता आगे आगे चलता है गधा बीच में और उसका पुत्र गधा को हांकता हुआ पीछे पीछे चलता है तो रास्ते में एक व्यक्ति मिलता है, और बोलता है कि यह दोनों कितने बेवकूफ हैं इस गधे में सवारी करने के बजाय इनको दोनों पैदल लेकर जा रहे हैं तो दोनों विचार करते हैं और सोचते हैं सही बात है कि हमें किसी एक को इस पर सवारी करनी चाहिए तो ऐसे सोच कर  पिता सबसे पहले अपने पुत्र को बिठा देता है और धीरे-धीरे गधे को खींचते हुए चलने लगता है चलते हो हुए आगे कुछ दूर चलने के बाद एक व्यक्ति मिलता है और उनको बोलता है कि पुत्र कितना बेशर्म है इसका पिता पैदल चल रहा है और यह मूर्ख गधे पर बैठा है जबकि होना यह चाहिए इसके पिता को गधे पर सवारी करनी चाहिए और खुद को पैदल चलना चाहिए उसके बाद पुत्र गधे से उतर जाता है, और अपने पिता जी को बोलता है कि आप इसकी सवारी करिए और मैं पैदल चलता हूं अपने पिता को बोलता है कुछ दूर चलने के बाद एक व्यक्ति और मिलता है, और टोकते हुए कहता है कि पिता बहुत ही निर्दई है इसका पुत्र इस भरी दोपहर में धूप में पैदल चल रहा है और यह गधे पर आराम से बैठकर जा रहा है तो फिर दोनों सोचते हैं कि हां ए तो सही बात है उसके बाद दोनों दोनों निर्णय लेते हैं कि हम दोनों एक साथ इस गधे की सवारी करते हैं उसके बाद दोनों उस गधे पर सवार हो जाते हैं कुछ दूर ऐसे चलने के बाद एक व्यक्ति और मिलता है वह उन दोनों को गधे पर बैठे देख के बोलता है यह दोनों आदमी कितने निर्दई हैं इस बेचारे बेजुबान जानवर पर दोनों सवारी कर रहे हैं जबकि होना यह चाहिए कि इन दोनों को पैदल चलना चाहिए और अपने साथ गधे को भी ले जाना चाहिए ठीक है तो यह सोच यह सुनकर दोनों फिर अचंभित हो जाते हैं और दोनों को समझ में नहीं आता कि अब हमें क्या करना चाहिए जब पुत्र बैठता है तब भी लोग बोलते हैं जब मैं बैठता हूं तब भी लोग बोलते हैं जब दोनों बैठते हैं तब भी लोग बोलते हैं तब हम आखिर में क्या करें तो दोनों आखिर में निर्णय करते हैं कि हम दोनों पैदल चलते हैं और गधे को अपने साथ लेकर चलते हैं तो यह सोच कर दोनों नीचे उतर जाते हैं और अपने साथ धीरे-धीरे पैदल चलते हुए गधे को भी साथ ले चलते हैं कुछ दूर ऐसे ही चलते हैं तो फिर एक व्यक्ति मिलता है और उनसे बोलता है कि दोनों कितने बेवकूफ हैं कितने पागल हैं कि दोनों गधे को पैदल चला रहे हैं तो होना यह चाहिए कि दोनों में से किसी को सवारी करना चाहिए लेकिन दोनों पिता-पुत्र का जो अनुभव था वह अच्छा नहीं था ठीक है उसके बाद दोनों फिर सोचते हैं कि अब क्या करना चाहिए हमें कुछ न कुछ तो करना चाहिए ताकि हमें लोगों का लोगों की बात ना सुनना पड़े यह सोचकर पिता पुत्र दोनों यह निर्णय लेते हैं कि हम इस गधे को ही अपने कंधे पर उठाकर ले चलते हैं जिससे कि लोग हमें कुछ नहीं कहेंगे यह सोचकर दोनों उस गधे को एक लकड़ी की बल्ली पर दोनों उसको बांध के टांग लेते हैं और दोनों अपने काँधे पर उठाकर के उसको चलने लगते हैं तो ऐसे चलते चलते कुछ दूर चलते हैं तो कुछ दूर चलने के बाद उन्हें एक व्यक्ति फिर मिलता है और बोलता है कि यह दोनों महामूर्ख हैं इस गधे की सवारी करने के बजाय ये दोनों इस गधे को ढो कर ले जा रहे हैं इनसे मूर्ख इस दुनिया में कोई नहीं है उसके बाद पिता पुत्र दोनों उस गधे को नीचे उतार देते हैं और उनके समझ में यह आ जाता है कि इस दुनिया में सभी व्यक्तियों का देखने का नजरिया अलग अलग होता है हम एक साथ सभी व्यक्तियों को अपने हिसाब से खुश नहीं रख सकते किसी व्यक्ति में जो हम काम कर रहे हैं वह किसी को सही लग सकता है लेकिन अन्यत्र किसी व्यक्ति को वही काम गलत लग सकता हैइसीलिए दोस्तों मैं आप को आप लोगों से यह बोलना चाहूँगा कि हम जो भी काम करें अपने दिल से करें बस समय यह उसके बारे में यह सोचना चाहिए कि हमारे उसका हमसे किसी और को नुकसान ना हो और हमारे जो काम है वह किसी प्रोडक्टिव काम होतो हम उस काम को जल्द से जल्द स्टार्ट कर दें नहीं तो इसी तरह से होते रहेगा

20/1/19

जो होता है अच्छे के लिए होता है.

जो होता है, अच्छे के लिए होता है


नमस्कार दोस्तों, आज मैं आप लोगों को एक कहानी बता रहा हूं जिसका शीर्षक है 'जो होता है अच्छे के लिए होता है' ठीक है. दोस्तो बहुत पहले की एक घटना है, एक राज्य में एक राजा रहता था, तो एक दिन राजा कुछ काम कर रहा था और दुर्घटनावश उसका एक हाथ का अंगूठा कट जाता है, इस बीच उसका सेनापति वहां आता है राजा दर्द से बहुत कराह रहा था. राजा को दर्द से बहुत तकलीफ हो रही थी, लेकिन उसका जो सेनापति था उसने अपने राजा से बोला महाराज जो होता है अच्छे के लिए होता है आप दुखी ना हो. तो इतना सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया और बोलता है मैं दर्द से तड़प रहा हूं और तुम मुझे बोल रहे हो जो होता है अच्छा होता है और वह अपने सेनापति पर बहुत नाराज होता है फिर अपने सैनिकों से कहता है कि इस दुष्ट को कारागार में डाल दो मैं यहां पर दर्द से तड़प रहा हूं और यह मेरे को समझा रहा है जो होता है अच्छे के लिए होता है. फिर इसके बाद उसके सैनिक उस सेनापति को जेल में डाल देते हैं लेकिन सेनापति कुछ नहीं बोलता अपने आप से कहता है जो होता है अच्छे के लिए होता है ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं तो एक दिन की बात है वह राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने के लिए जंगल जाता है, तो शिकार करते - करते वह अपने सैनिकों से बिछड़ जाता है और काफी दूर निकल जाता है. तो उसी समय उस जंगल में कुछ आदिवासी आते हैं, और आदिवासी उस राजा को पकड़कर अपने साथ ले जाते हैं. उन आदिवासियों का कुछ वार्षिक महोत्सव चलता रहता है जिसमें किसी मानव का बलि देना रहता है तो इसी उद्देश्य उस राजा को पकड़ के अपने साथ लोग ले जाते हैं और जब रात होती है तो उस राजा को बलि चढ़ाने के लिए तैयार किया जाता है. और जैसे ही उस राजा को बलि देने के लिए तैयारी पूरी हो जाती तो उसी समय एक आदिवासी की नजर उसके कटे हुए अंगूठे पर जाता है, तो वह झट से अपने सरदार को बोलता है सरदार हम इस आदमी की बलि नहीं दे सकते क्योंकि इसका एक अंग नहीं है मतलब उसका एक अंगूठा नहीं है. तो वह अपने सरदार को बोलता है,की सरदार हमारा जो देवी है वह अधूरे मानव की बलि को स्वीकार नहीं करती। फिर उनका सरदार उसे छोड़ने का आदेश देता है, फिर उस राजा को छोड़ दिया जाता है और वह धीरे-धीरे ढूंढते ढूंढते अपने राज्य में वापस आ जाता है ठीक तो उसके बाद उस राजा को समझ में आ जाता है कि उस दिन सेनापति ने उसको क्या बोला था ,राजन जो होता है अच्छे के लिए होता है फिर इसी बीच वह पछतावा करते हुए उस सेनापति के पास जाता है और उससे माफी मांगने लगता है. तो सेनापति अपने राजा से कहता है की राजन आप मुझसे माफी मत मांगिए जो होता है अच्छे के लिए होता है तो राजा फिर पूछता है कि फिर कैसे बोल रहे हो भाई जो होता है अच्छे के लिए होता है. तब सेनापति ने अपने राजा को जवाब देता है देखिए राजा उस दिन अगर मैंने आपको यह नहीं कहता कि जो होता है अच्छे के लिए होता है तो आप मुझे इस जेल में नहीं डलवाते, ठीक है अगर आप इस जेल में मेरे को नहीं डलवाते तो उस दिन शिकार करने के लिए जब आप गए थे तो आपके साथ मैं भी जाता और जब वह आदिवासी आप को पकड़कर ले जाते और तो उस दिन आपके साथ में मुझे भी वह अपने साथ ले जाते जब आप को बलि चढ़ाने के लिए करते और जब आप के कटे हुए अंगूठे को देखते तो वह आदिवासी आपको छोड़ के मुझे बलि चढ़ा देते तो इसीलिए आपने मुझे जेल में डालने का आदेश दिया इस वजह से मेरी प्राण बच गई तो इसीलिए बोलता हूं जो होता है अच्छे के लिए होता है ठीक है दोस्तों इस कहानी का मेन मोरल यह है कि हमारे साथ जो भी होता है हमें उसके बारे में पछताना नहीं चाहिए और उसके आगे की सोचना चाहिए और हमें जितना भी मिला है जैसा भी मिला है हमें भगवान का शुक्रगुजार होना चाहिए और हमें हमेशा उसके लिए शिकायत नहीं करनी चाहिए जो हमें प्राप्त नहीं हुआ है बल्कि हमें उससे खुश होने की कोशिश करना चाहिए जो हमें मिला है, या जो हमारे पास है. और उसको उससे अपना खुशी व्यक्त करते हुए और कुछ पाने की कोशिश करना चाहिए दोस्तों यह मेरा आज का कहानी था.
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धन्यवाद

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25/8/18

Rakshabandhan

Namashkar dosto aap sabhi ko Rakshabandhan tyohar ki bahut- bahut badhai. Doston jaisa ki aap sabhi jante hain ki Rakshabandhan ka tyohar hamare bhart desh men bahut hi prem purvak manaya jata hai. Rakshabandhan ke din sabhi bahane apne bhai ke kalai par rakhi bandhti hai. Is din sabhi bahan apne bhai se apni Rakaha ke liye Rakhi bandha karti hain. Rakshanbandhan ka tyohar bhai Aur bahan ke prem ka tyohar hai.
  • Happy Rakshbandhan.

14/11/17

भारत






भारत का क्षेत्रफल 3287263 वर्ग किलोमीटर है.  भारत की स्थिति 80 4’ से 3706’ मिनट उत्तरी अक्षांश में स्थित है.
भारत की देशांतर स्थिति 6807’  से 970 25’ पूर्वी देशांतर है.
भारत का विस्तार उत्तर से लेकर दक्षिण 3214 किलोमीटर है,
भारत का विस्तार पूर्व से पश्चिम की ओर 2933 किलोमीटर है भारतीय सीमा 15200 किलोमीटर तक है जबकि इसकी समुद्र तट की लंबाई 7516.6 किलोमीटर है. इसके कुछ राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के बारे में हम जानते हैं.
राष्ट्रीय ध्वज


संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को अपनाया 26 जनवरी 2002 से भारतीय ध्वज संहिता-2002 प्रभावी है राज-चिन्ह भारत

सरकार ने 26 जनवरी 1950 को अपनाया यह अशोक के सारनाथ स्तंभ की अनुकृति है मूल स्तंभ में शीर्ष पर 4 दिन सिर्फ पर जाती है भारत के राज्य चिन्ह का उपयोग भारत के राजकीय अनुचित उपयोग अधिनियम 2005 के तहत नियंत्रित होता है.
राष्ट्रगान जन गण मन 24 जनवरी 1950 को अपनाया गया राष्ट्रीय पंचांग कैलेंडर के साथ-साथ शक संवत पर आधारित है इसे 22 मार्च 1957 को अपनाया गया भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया और इसके कुछ अंशों को जिस दिन लागू किया गया है भारत का संविधान पूर्ण रूप से 26 जनवरी 1950 को संपूर्ण भारतवर्ष पर लागू किया गया तथा इस दिन से भारत का संविधान भारत पर प्रभावी हुआ.

21/9/17

Baba Ram Rahim

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15/7/17

Save water.

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खंडगिरी और उदयगिरी गुफाएँ – इतिहास की पत्थरों पर उकेरी कहानी

     स्थान: भुवनेश्वर, ओडिशा      प्रसिद्धि: प्राचीनजैन गुफाएँ, कलात्मक शिल्पकला, ऐतिहासिक महत्व  परिचय भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक ...