सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

आत्मविश्वास The power of selfconfidence.

            दोस्तों आज मै आप लोगों के साथ आत्मविश्वास पर कुछ विचार रखना चाहता हूँ
दोस्तों व्यक्ति जब स्वयं पर विश्वास करता है तो ही उसका आत्मबल प्रकट होता है। और जिस व्यक्ति के अंदर आत्मबल कुट-कुट कर भरा हुआ हो, वह अपने लिए अनेक अवशर उतपन्न कर लेता है और पारिस्थितियों से जूझकर सफलता पाता है। यदि हम अपने मन में अविश्वास और विफलता का विचार लाते है, तो कभी सफल नहीं हो सकते। दोस्तों इसके विपरीत जिन लोगों का खुद पर विशवास होता है, वो हमेशा सफल होते हैं। दोस्तों हमे दुनिया में अनेक उदाहरण मिलते है जो यह दर्शाते है कि व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास होने पर, उनके रास्तो पर अनेकों कठिनाई होने पर भी आगे बढ़ते चले गए तथा रास्ते स्वयं बनते चले गए। और उस व्यकि के आगे परिस्थितियों को भी हार माननी पड़ी।
            दोस्तों कुछ उदाहरण आपके पास रख रहा हूँ जो यह साबित करते है की आत्मविश्वास के बल पर ही असम्भव सा काम कर दिखाया।
             खुद पर विश्वास के कारण ही 'जॉन ऑफ़ आर्क' जैसी फ़्रांसिसी सेना का नेतृत्व एक ग्रामीण लड़की ने किया। इतना ही नहीं उसके इस प्रबल आत्मविश्वास के कारण ही फ़्रांस के राजा को भी उसके आदेशों का पालन करना पड़ा। विलियम पिट को भी जब इंग्लैंड के प्रधानमंत्रि पद से हटाया गया तब उन्होंने डेवनशायर के ड्यूक से बड़े ही आत्मविशवास के साथ कहा था कि 'इस देश को मैं ही बचा सकता हूँ, इस काम को मेरे शिवा कोई दूसरा नहीं कर सकता ' 11 हफ्ते तक इंग्लैण्ड में बिना प्रधानमंत्री के ही काम चलता रहा और अंत में 'पिट' को ही योग्य मानते हुए शासनाधिकार सौप दिया गया।
                 इसी तरह नेपोलियन, लूथर, बिस्मार्क, और सेवनारोला जैसे सामान्य लोग अपने प्रबल आत्मविशवास के कारन ही महान लोगों की श्रेणी में आ गए और अपने जीवन में आश्चर्यजनक सफलताएं प्राप्त कर सके।
                  प्रसिद्ध मानव व्यवहार विशेषज्ञ ग्रेस फ्लेमिंग,आत्मविश्वास को सफलता की कुंजी मानते हैं। अपनी चर्चित पुस्तक 'बिल्डिंग सेल्फ कॉन्फिडेंस' में उन्होंने कहा की 'यदि मनुष्य अपना आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते हैं तो तो सबसे पहले अपनी कमजोरियों को पहचाने तथा उन्हें दूर करने की खुद में शक्ति पैदा करें। ये कमजोरियाँ हमारे व्यक्तित्व में किसी भी प्रकार के हो सकती हैं, जैसे- हमारा खराब स्वास्थ्य, रूप -रंग, पारिवारिक पृष्ठभूमि, वजन, गुण, बुरिआदतें, अथवा गरीबी आदि कुछ भी हो सकता है। हमें अपनी कमजोरियों के तह में जाकर इनको दूर करने का कारगर उपाय खोजना चाहिए। अपनी इन कमजोरियों का मुकाबला करने में सबसे पहले हमें डर लगेगा, लेकिन हम डर को दूर कर के ही हम अपनी कमजोररियों को दूर कर सकेंगे और अपने आत्मविश्वास को बढा सकेंगे।'  
                    दोस्तों कमजोरियों को जानना ही जरुरी नहीं है, बल्कि इनके भीतर शक्ति को तलाशना भी आवश्यक है। हर व्यक्ति दुर्लभ प्रतिभा को लेकर संसार में आता है। उस नैसर्गिक प्रतिभा से आत्मविस्वास की पूंजी में विस्तार संभव है। 

 दोस्तों इस लेख को पढ़ने और अपना कीमती समय देने के लिये धन्यवाद। 
अगर आपको अच्छा लगा हो तो like जरूर करें।   

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गोपाल भांड और महाज्ञानी

लगभग 200 साल पहले राजा कृष्ण चंद्र बंगाल के एक हिस्से पर शासन करते थे। उनके अदालत में गोपाल भाण्ड नाम का मशखरा था। हालांकि गोपाल भांड  ने किताबों का अध्ययन नहीं किया था, किन्तु वह बहुत बुद्धिमान व्यक्ति था। एक बार, एक बहुत ही दक्ष आदमी, महाग्यानी पंडित अदालत में आया। उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं में स्पष्ट रूप से और पूरी तरह से बात की। उन्हें दर्शन और धर्म का अच्छा ज्ञान था। उसने सभी प्रश्नों का बहुत बुद्धिमानी से उत्तर दिया लोग उससे बात करने काबिलियत से आश्चर्यचकित थे।  लेकिन कोई भी उनकी मातृभाषा की पहचान नहीं कर सका। जब भी उन्होंने उससे पूछा जाता, वह अहंकार से मुस्कुराता और कहता, "वास्तव में जो बुद्धिमान व्यक्ति होगा वह मेरी मातृभाषा को आसानी से जान जायगा।" राजा कृष्ण चंद्र बहुत परेशान था।  इसलिए उन्होंने इसके के लिए एक इनाम की घोषणा की, जो पंडित की मातृभाषा को बता सकता था। सभी विद्वानों ने ध्यान से महाज्ञानी की बात सुनी। लेकिन कोई भी उसकी मातृभाषा की पहचान नहीं कर सका "आप पर शर्म आनी चाहिए", राजा ने गुस्से में कहा।  सभी विद्वान चुप थे। गोपाल भांड झटके स

एकाग्रता:सफलता सफलता का मूलमंत्र

              सफलता के लिए एकाग्रता अनिवार्य  दोस्तों आज मै एक कहानी के माध्यम से अपनी बात कहने का प्रयास का रहा हूँ।वैसे यह कहानी तो बहुत पुरानी है, लेकिन इसका जो सार है वह आज भी प्रासंगिक है।                 यह कहानी भारतीय पौराणिक कथा महाभारत के एक प्रसंग पर आधारीत है। गुरु द्रोणाचार्य अपने आश्रम में सभी शिष्यों को धनुर्विद्या का प्रशिक्षण दे रहे थे। गुरु द्रोणाचार्य ने  एक बार अपने सभी शिष्यों से उनकी परीक्षा लेना चाहा। उन्होंने अपने सभी शिष्यों से पेड़ पर बैठी चिड़िया के आँख पर निशाना लगाने को कहा। तीर छोडने से पहले अपने सभी शिष्यों से बारी-बारी से एक प्रश्न किया,और पूछा की बतओ तुमको पेड़ पर क्या क्या  दीख रहा है ?तब किसी शिष्य ने कहा पेड़ की डाली ,पत्ति आदि। किसी ने कहा पेड़ पर बैठी चिड़िया। एक ने कहा गुरुजी  मुझे आप, सभी शिष्य, चिड़िया सब दिख रहा है । लगभग सभी शिष्यों का यही जवाब था। किन्तु जब अर्जुन की बारी आई तो गुरु ने अर्जुन से भी वही सवाल दोहराया तो उसने कहा- गुरुदेव मुझे सिर्फ चिड़िया की आँख ही दीख रही है। अर्जुन की एकाग्रता को देख के गुरुजी समझ गए की सभी शिष्यों में केवल अर्ज

इमरजेंसी फंड

 रोटी कपड़ा और मकान के बाद आज सबसे ज्यादा जरूरी है, कि हम अपने तथा परिवार के लिए एक इमरजेंसी फंड की व्यवस्था करके रखें। आपको यह इमरजेंसी फंड न केवल आपको आर्थिक स्वतंत्रता दिलाएगा बल्कि भविष्य की आर्थिक अनिश्चितता तथा अस्थिरता को भी कम करने में आपकी मदद करेगा। अब यह सवाल उठता है कि हमारा इमरजेंसी फंड कितना होना चाहिए, तो सामान्सत़ः आज के समय में जो स्थिति है उसके हिसाब से आपके मासिक आय का 5 से 7 गुना आपके पास इमरजेंसी फंड के रूप में होना चाहिए और यह इमरजेंसी फंड आप की बचत खाता से अलग होना चाहिए। यह इमरजेंसी फंड आपको उस समय काम आएगा जब अचानक आपकी आए किसी भी कारणवश बंद हो जाए तो आपको आर्थिक झटकों से उबरने में मदद करेगा। आप इसकी शुरुआत कैसे करें आप अचानक से पैसा नहीं बचा पाएंगे इसके लिए आप धीरे-धीरे शुरुआत कर सकते हैं। शुरुआत में आपको दिक्कत आएगी लेकिन आप यह निश्चित कर ले कि आपको अपने मासिक आय का कम से कम 5 से 10 प्रतिशत हिस्से को बचत करने की कोशिश करे।ं इसके लिए भी आप खर्च से पहले बचत की सिद्धांत को अपनाएं इससे आपको अंत में बचत करने में आने वाली परेशानी से निजात मिल जाएगी। अगर आप यह सोचेंग