28/11/16

ताजमहल का इतिहास.HISTORY OF TAJMAHAL.

                                ताजमहल का इतिहास 

आज मैं आप लोगों के साथ ताजमहल से जुडी बहुत सारी जानकारियां दुँगा जिसके बारे में कम ही लोगो को पता होगा।  
                  साथियों जैसा की मैंने पिछले लेख में आपको यह बता चूका हूँ क़ि इतिहास में ताजमहल का वर्णन रोजा -ए - मुनव्वर (चमकती समाधि) के रूप में हुआ है। समकालीन इतिहासकारों जिनमें शाहजहाँ के दरबारी इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी ने अपने किताब 'पादशाहनामा' में इसका वर्णन किया है। अपने इस लेख में ताजमहल के निर्मांण के सम्बन्ध में विस्तार से उल्लेख किया है।

बुनियाद और नींव -:

शाहजहाँ के गौरावशाली राज्यारोहण के पांचवे वर्ष (जनवरी,1632) में बुनियाद डालने के लिए यमुना के किनारे खुदाई का कम आरम्भ हुआ। बुनियाद खोदने वालों ने पानी के तल तक जमीन  खोद डाली। फिर राजमिस्त्रियों ने तथा वास्तुकारों ने अपने विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए इसकी मजबूत बुनियाद डाली तथा पत्थर और चुने की मदद से उसे जमीं तक ले आए। 
इसके ऊपर ईंट और चुने की मदद से ऊँचा चबूतरा का निर्माण किया गया। यही चबूतरा इस ईमारत का प्लिंथ ( कुर्सी) बना। सहायक  भवनो सहित मुख्य ईमारत ताजमहल की मुख्य ईमारत की सम्पूर्ण योजना आयताकार है। यह चारों और से ऊँची दीवारों से घिरा  हुआ है इसके चारो और मेहराब युक्त मंडप हैं।
दोस्तों इस ईमारत को बनाने के लिए पुरे मुग़ल साम्राज्य के कोने -कोने से पत्थर काटने वाले,मणिकर, और पच्चीकारी करने वाले बेहतरीन कारीगरों को इकट्ठा किया गया जिन्होंने मिलकर काम किया। प्लिंथ का फर्स भी लाल पत्थर का बना हुआ है।
               इस प्लेटफॉर्म प्लिंथ के बिच में एक और मजबूत चबूतरा(कुर्सी) बना हुआ है। इसका क्षेत्रफल 120 हाँथ तथा ऊंचाई 7 हाँथ है। यह पूरी तरह से संगमरमर से ढका हुआ है। सुंदरता में इसकी तुलना स्वर्ग की सिघासन से की गई है। इस दूसरे प्लेटफॉर्म के मध्य में विशाल और भव्य समाधि की इमारत बनाई गई है।
               ईमारत के मध्य में कब्र के ऊपर संगमरमर का  गुम्बदनुमा हाल बना हुआ है। सतह से गोलार्ध(जिह) तक गूमबद के निचे बना हाल अष्टकोणीय है। और इसका क्षेत्रफल 22 हाँथ है।
                इस अंदरुनी गुम्बद के ऊपर अमरुद के आकर का एक और विशाल गुम्बद बनाया गया है। इस विशाल गुम्बद बाहरी वृत्त 110 गज है और इस पर 11 गज ऊँचा स्वर्ण कलश लगा हुआ है  जो सोने की तरह चमकता है। जमीं से इसकी ऊंचाई 107 गज है।
                इस गुम्बद के बिच में उस महान महिला की कब्र (मजिया) है। इनका स्थान स्वर्ग में भी सरोपरि है। इस कब्र पर अल्लाह का करम है। और महानमलिका का ईश्वरीय शक्ति से मिलन हो चूका है।
                स्वर्ग के इस निवासी की वास्तविक कब्र (तुर्बत) के ऊपर संगमरमर का चबूतरा बना है। जिसका एक छत्तरी (सूरत - ए - गब ) बनाई गई है। इसके चरों और अष्ट कोणीय जाली लगी हुई है। यह भी संगमरमर से बनाई गई है। और इस पर तुर्की सैली में अलंकरण किया गया है। इसे बनाने में उस समय 10,000 रुपये खर्च हुए थे। जमीन से 23 गज ऊपर उठे संगमरमर के चबूतरे (कुर्सी ) के चरों और मीनारें कड़ी हैं। जिनमें अंदर की और सिंढ़या बनी हुई है, और ऊपर छतरी सी बनी हुई है। इसका आधार 8 फिट है। और चबूतरे से कलश तक इसकी ऊंचाई 52 फिट है। ऐसा लगता है मानों स्वर्ग की और जाने के लिये सिंड़ीया लगाई गई है।
             मुमताज महल की असली कब्र नीचे तःखाने के बीचो-बिच निर्मित है। 1666 ई. में शाहजहाँ को भी ताजमहल में ही मुमताज के बगल में दफन दिया गया। मुमताज एवम् शाहजहाँ की कब्रें संगमरमर की बानी हुई है। और इन पर सुन्दर जड़ाउ काम हुआ है।
              स्वर्ग के समान प्रतीत होने वाली इस समाधी के चबूतरे का रास्ता भी संगमरमर निर्मित है। काले पत्थरों और सफ़ेद संगमरमर का सुन्दर समन्वय इसका आकर्षण और भी बढ़ा देता है। और यह दिन हो या रत हमेशा चमकता रहता है।
              दोस्तों इस समाधि की तारीफ शब्दों में कर पाना बहुत मुश्किल है। ताजमहल का अंदर का भाग हो या बाहर का भाग हो इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। इसको बनाने में कलाकारों ने आश्चर्य और चमत्कार से भरी कारीगरी रंगो और बहुमूल्य जेवरातों का प्रयोग किया जिनका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है। इसमें जड़ी मोती का उल्लेख शब्दों में नही किया जा सकता है। दोस्तों इसकी चमक के आगे सूरज की चमक भी फीकी पड़ जाती है। यह ईमारत कल्पना और इसके चमत्कार को समझ पाना मानव-बुद्धि की सीमा से परे है। इसका फर्श सोने की तरह बहता नजर अता है इसका वर्णन न कभी पूरा हो सकता है, न समाप्त हो सकता है।

              इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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18/11/16

आप स्वयं से प्यार कीजिए।

साथियों इस दुनिया में कई ऐसे लोग होते है, जो अक्सर अपनी तुलना दूसरों से करते रहते हैं। और ऊपर वाले से शिकायत करते रहते हैं, कि भगवान ने मुझे उसके जैसा क्यों नहीं बनाया। किसी को अपने रंग से शिकायत है तो, किसी को अपने चेहरे को लेकर शिकायत होती है,तो किसी को अपने शरीर के आकार से शिकायत होती है, कोई सोचता है कि मैं उसके जैसा हैंडसम क्यों नहीं हूँ,इन सबमें लड़कियां तो दो कदम और आगे होती हैं।
              आखिर ये सोचने से कोई फायदा तो होने वाला है नहीं ,ऊपर से अपने आप को दुसरो से कमतर आकने लगते है, तथा अपने अंदर हिन् भावना को बसा लेते हैं। तथा अपना सामाजिक विकास को रोक देते है।
अपने अंदर बसी इस भावना को आप निकाल फेकिए आप अपने अंदर आत्मविश्वास को जगाइये। अपने अंदर इस भावना को पैदा करिए, कि आप इस दुनिया में सबसे अलग हैं। अपने आप से प्यार किजीए आप जैसे भी है इस दुनिया में सबसे अलग है। आप में कुछ गुण ऐसे है जो किसी के पास नहीं है। आप को भगवान ने कुछ खास मकसद के लिये इस दुनिया में भेजा है। आप में भी तो कुछ विशेष होगा आप उसी को उभारिए और आपनी नई पहचान बनाइए। फिर देखिये लोग आपकी उस खासियत की वजह से जानेगे लोगो को आप की कमी नजर नहीं आयगी।
साथियो इस दुनिया में ऐसे अनेकों उदाहरण भरे पड़े है जिन्होंने अपनी कमियों के बाद भी कुछ ऐसे काम किये कि  जिसकी लोग कल्पना भी नहीं की होगी।और वे आज अपनी उन कार्यों की वजह से जाने जाते हैं।
अंत में मई यही कहना चाहूँगा साथियो कि जब तक आप अपने आप से प्यार नहीं करेगे तब तक दूसरे भी आपको नहीं चाहेंगे।

इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद 

16/11/16

हार मत मानिये।

साथीयो हमें अपने जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिये।हमें अपने जीवन में रोज कोई न कोई समस्या का सामना करना पड़ता है। और हम उन समस्या का समाधान करने की कोशिश करते है।साथियो इन समस्यायों में कई ऐसी समस्याएं  होती है जिनका समाधान हमारे अपने हाथ में होता है। तथा कई समस्या तो ऐसी होती हैं जिनका समाधान हमारे हाथो में नहीं होता। फिर भी हम परेशान होते हैं।
हमारे जीवन में कोई भी समस्या आए हमें उसका डट कर सामना करना चाहिये। कभी भी हमें उससे भागना नहीं चाहिये तथा उसको दूर करने का रास्ता खोजना चाहिये। जब भी किसी समस्या से अगर हम हार के बैठेंगे उस दिन से सारे रास्ते भी बंद हो जाएंगे है। और यकिन मानीय साथियो अगर एक बार हम अपने दिमाग में बैठ लिया तो उस दिमाग में उस समस्या का समाधान के लिये कोई नया आइडिया भी आना बंद हो जाएगा और अगर आइडिया आना बंद हो जायगा तो हम कभी उसका हल नहीं खोज पायेगे। 
साथियो इस बात को एक उदाहरण के माध्यम से समझतेहै। साथियो यह कहानी जापान से सम्बंधित है, जापानियों को मछलिया खाना बहुत पसंद है इसी वजह से वहाँ मछलियो का अंधाधुंध शिकार हुआ और एक समय आया जब जापान के तट से मछलिया ही लगभग समाप्त हो गई। अब वहाँ के लोगो के लिए यह समस्या कड़ी हो गई की अब मछलिया कहा से मिले। 
अब इसी समस्या के समाधान के लिये एक फिसरिज कंपनी सामने आई और उसने क्या किया की वह अब दूर समुद्र से मछलिया पकड़ कर सप्लाई करने लगा। लेकिन उसमे भी एक समस्या थी की मछलियो को पकड़ने में तथा लोगो तक पहुचने में काफी समय लग जाता था ,जिससे मछलिया ताजे नहीं होते थे जिससे  वो स्वाद लोगों को नहीं मिला जिससे लोगों ने लेना बंद कर दिया। 
अब कंपनी के सामने यह समस्या खड़ी हो गई की मछलियो को ताजा कैसे रखा जाय।  इसके समाधान में कंपनी ने अपने जहाज में एक विशाल रेफ्रिजरेटर रखवाया और सभी मछलियो को पकड़ कर उसमें रखवाया तथा बाजार में पहुँचया इस बार तो मछलिया पहले से ताजि तो थी लेकिन लोगो को उन मछलियो का नेचुरल टेस्ट नहीं लगा अतः इस बार भी लोगो ने इस आइडिया को नकार दिया। 
अब कंपनी  के  सामने यह समस्या खड़ी हो गई कि मछलियो को अपने प्राकृतीक अवस्था में कैसे रखा  जाय। फिर कंपनी ने इसका  यह उपाय खोजा की जहाज में ही एक विशाल पानी का टैंक रखवाया और उसी में सभी मछलियो को डलवाया और लोगों तक पहुचाया।  इस बार लोगो को कुछ अच्छा तो मिला लेकिन उस टैंक में कम स्थान में अधिक मछलियो को रखने से  मछलियो में कोई मोमेंट नहीं होने के कारण मछलियां लगभग मरने की हालात में थी तथा इस बार भी लोगो ने इसे पसन्द नहीं किया। 
अब कंपनी के पास यह समस्या कड़ी हो गई की या तो इस समस्या का कोई कारगर उपाय खोजे, या तो अपनी कंपनी को बंद करे। अब कपनी को यह बात मंजूर  नहीं था की इतने निवेश के बाद कंपनी को बंद करना पड़े। अतःकंपनी ने इसका भी समाधान खोज निकला इस बार क्या किया क़ि टैंक में एक शार्क मछली डलवा दिया इससे क्या हुआ कि शार्क ने कुछ मछलियो को तो खा लिया और जो मछलियाँ बची थी वो शार्क के डर से इधर - उधर भाग रहे थे। जिससे उनमे प्राकृतिक हलचल बानी रही। और वो एकदम तजा थी। और जब लोगो तक पंहुचा तो उनको वही प्राकृतिक स्वाद का अनुभव हुआ तथा लोगों ने हाथो हाँथ लिया। 
इस प्रकार लोगो  की मछली की समस्या समाप्त हो गई। तथा कंपनी भी इस आइडिया से बंद होने से बच गई। 
साथियो हम इस उदहारण से यह प्रेरणा ले सकते हैं की है अपनी समस्या का हल खोजने का प्रयास करते रहना चाहिये। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिये। 
             
           इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। 
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14/11/16

समय का महत्त्व

 साथियों आज मैं आप लोगों के साथ समय के बारे में अपना विचार साझा करना चाहता हूँ। वैसे तो समय के बारे में हर कोई जनता और समझता है। पर हम में से कितने लोग हैं जो समय का सही उपयोग करते है।
जैसा की कहा जाता है कि इस दुनिया की सबसे मूल्यवान कोई वस्तु है तो वो है समय।
                 कहा जाता है कि जो समय का कद्र नहीं किया उसका  क़द्र समय भी नहीं करता। जो लोग समय को व्यर्थ  गवा रहे है वो लोग समय को नहीं अपने आप को मार रहे है।
इस दुनिय में दो तरह के लोग है एक सफल और दूसरे             असफल। भगवन हम  सबको एक तरह ही  बना कर  भेजा है हमको बनाने में भगवान ने कोई पक्षपात नहीं किया है। इस दुनिया में सभी को एक समान दिन और रात मिला है सभी को दिन के 24 घंटे ही मिलते है। तो क्या कारण है की एक व्यक्ति सफलता की ऊंचाई पर होता है तथा एक एक एक व्यक्ति अपने जीवन में सफल नहीं हो पता। अगर इन दोनों लोगो की जीवनचर्या की तुलना की जय तो बहुत हद तक अधिकांस लोगो में एक असमानता जरूर मिलेगी और वो है समय का सदुपयोग। एक सफल व्यक्ति समय का उपयोग इस प्रकार से करता है की उस समय की अधिकतम उत्पादकता के रूप में ले सके। वह समय को कभी व्यर्थ नहीं गवाता तथा सभी कार्यो को समय सिमा के अंदर प्राथमिकताओं के आधार पर पूरा करने का प्रयास करता है या दूसरे शब्दों में कहा जाय तो वह केवल उन्ही कार्यो को प्राथमिकता देता है जो जरुरी तथा उत्पादक होता है।
          वहीँ अगर दूसरी और उस असफल व्यक्ति की और देखे तो वह समय को गैर जरुरी कार्यो पर गवा देता है। कहा जाता है की एक बार गवाया हुआ धन तो कमाया जा सकता है किन्तु एक बार जो समय चला जाय तो हमारे लाख चाहने पर भी उसे वापस प्राप्त नहीं कर सकते।
          इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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12/11/16

मेरा परिचय

नमस्कार साथियों मेरा नाम गुलाब चन्द यादव है . मै आप सभी का अपने इस ज्ञानवाणी  BLOG पर स्वागत करता हूँ. मैं अपने इस ब्लॉग के माध्यम से आप लोगो  से नई - नई जानकारिया बाटने का प्रयास करूँगा . तो कृपया आप हमसे जुड़े रहे . 
धन्यवाद .




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