सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ताजमहल

Tajmahal front view

ताजमहल.

दोस्तों आज मैं आप लोगों के साथ दुनिया के बेहतरीन और खूबसूरत स्मारकों में से एक 'ताजमहल'के बारे में कुछ जानकारियां बाटने जा रहा हूँ। 
ताजमहल भारत का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण के साथ यह एक विश्व विरासत स्मारक भी है। दोस्तों ताजमहल का निर्माण भारत के मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपने प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में इस महान कलाकृति का निर्माण करवाया था।  इस नायाब ऐतिहासिक कलाकृति का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है। 
ताजमहल से जुड़े कुछ रोचक तथ्य -:
यहाँ आपको जानकर यह आश्चर्य होगा की इस ईमारत का नाम 'ताजमहल'यूरोपीय यात्रियों ने रखा है। 
उस समय के जो ऐतिहासिक दस्तावेज हैं उनमें इस इमारत का उल्लेख 'रोजा-ए-मनब्बर'(चमकति समाधी)के नाम से किया गया है। इसक़ो बनाने का कार्य सन् 1632 ई. में प्रारम्भ किया गया तथा 1643 ई. में बनकर तैयार हुआ। 
योजना
ताजमहल का निर्माण एक चौतरफा बाग़ है उसके पश्चिमी किनारे पर एक ऊँचे चबूतरे पर किया गया है। आगरा शहर के इस हिस्से को बेगम मुमताजमहल के नाम से मुमताजाबद के नाम से जाना जाता है। 
दोस्तों इस बाग में प्रवेश करने के लिये एक 30 मीटर ऊँचा लाल बलुआ पत्थर का एक दरवाजा बना हुआ है जिससे होकर बाग में प्रवेश करना होता है। इसी परिसर में ताजमहल स्थित है। 
चबूतरे के बीचों-बीच ताजमहल स्थित है जिसके प्रत्येक कोने में एक चार मंजिली संगमरमर की मीनार है।    
शैली -:
दोस्तों ताजमहल का जो बहरी हिस्सा है उसका निर्माण संगमरमर से किया गया है जिसमें रंगीन पत्थरों से पच्चीकारी की गई है। 
संगमरमर पर काले अक्षर में कुरान की आयतें लिखी गई हैं। ईमारत के मध्य में मुख्य कब्रगाह है जो अष्टकोणीय है इसी में मुमताजमहल की कब्र है, और इसी के बगल में शाहजहाँ की कब्र बानी हुई है। 
सजावट-:
साथियों जब ताज महल का निर्माण किया जा रहा था तब कुछ इसतरह की योजना तथा व्यवस्था किया गया था की  इसकी खूबसूरती और ज्यादा निखर के  सामने आए। इस ईमारत की खास विशेष्ता है की जब इस पर प्रकाश की किरणे पड़ती है तो यह ईमारत और खिल उठता है। 
इस ईमारत के निचले हिस्से में फुलो की आकृति उकेरी गई है। इनको मुख्य रूप से रंगीन पत्थरों की सहायता से ये डिजाइन बनाई गई है। इसमें मुख्य रूप से नर्गिस, गुलाब, और ट्यूलिप की आकृतियां उकेरी गई है। फ़ारसी कविताओं में इन फूलों को प्रेम का प्रतिक माना  गया है। 
  दोस्तों ये तो ताजमहल से जुडी कुछ मुख्य बातें थी। दोस्तों मैं  आप लोगों के सामने ताजमहल से जुडी  हुई और बहुत सारी रोचक तथा ऐतिहासिक जानकारियां सेयर करूँगा जिसके लिये आप इस ब्लॉग से जुड़े रहें। 
अगले पोस्ट में मैं आपसे ताजमहल से जुडी कुछ ऐतिहासिक पहलु पर जानकारी शेयर करूँगा तो PLS DON'T MISS.
अगर आपको मेरी ये जानकारियां अच्छी लगी हो तो PLEASE LIKE करें. तथा COMMENT करें। 
                          इस लेख को पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गोपाल भांड और महाज्ञानी

लगभग 200 साल पहले राजा कृष्ण चंद्र बंगाल के एक हिस्से पर शासन करते थे। उनके अदालत में गोपाल भाण्ड नाम का मशखरा था। हालांकि गोपाल भांड  ने किताबों का अध्ययन नहीं किया था, किन्तु वह बहुत बुद्धिमान व्यक्ति था। एक बार, एक बहुत ही दक्ष आदमी, महाग्यानी पंडित अदालत में आया। उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं में स्पष्ट रूप से और पूरी तरह से बात की। उन्हें दर्शन और धर्म का अच्छा ज्ञान था। उसने सभी प्रश्नों का बहुत बुद्धिमानी से उत्तर दिया लोग उससे बात करने काबिलियत से आश्चर्यचकित थे।  लेकिन कोई भी उनकी मातृभाषा की पहचान नहीं कर सका। जब भी उन्होंने उससे पूछा जाता, वह अहंकार से मुस्कुराता और कहता, "वास्तव में जो बुद्धिमान व्यक्ति होगा वह मेरी मातृभाषा को आसानी से जान जायगा।" राजा कृष्ण चंद्र बहुत परेशान था।  इसलिए उन्होंने इसके के लिए एक इनाम की घोषणा की, जो पंडित की मातृभाषा को बता सकता था। सभी विद्वानों ने ध्यान से महाज्ञानी की बात सुनी। लेकिन कोई भी उसकी मातृभाषा की पहचान नहीं कर सका "आप पर शर्म आनी चाहिए", राजा ने गुस्से में कहा।  सभी विद्वान चुप थे। गोपाल भांड झटके स...

ताजमहल का इतिहास.HISTORY OF TAJMAHAL.

                                 ताजमहल का इतिहास   आज मैं आप लोगों के साथ ताजमहल से जुडी बहुत सारी जानकारियां दुँगा जिसके बारे में कम ही लोगो को पता होगा।                     साथियों जैसा की मैंने पिछले लेख में आपको यह बता चूका हूँ क़ि इतिहास में ताजमहल का वर्णन रोजा -ए - मुनव्वर (चमकती समाधि) के रूप में हुआ है। समकालीन इतिहासकारों जिनमें शाहजहाँ के दरबारी इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी ने अपने किताब ' पादशाहनामा'  में इसका वर्णन किया है। अपने इस लेख में ताजमहल के निर्मांण के सम्बन्ध में विस्तार से उल्लेख किया है। बुनियाद और नींव -: शाहजहाँ के गौरावशाली राज्यारोहण के पांचवे वर्ष (जनवरी,1632) में बुनियाद डालने के लिए यमुना के किनारे खुदाई का कम आरम्भ हुआ। बुनियाद खोदने वालों ने पानी के तल तक जमीन  खोद डाली। फिर राजमिस्त्रियों ने तथा वास्तुकारों ने अपने विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए इसकी मजबूत बुनियाद डाली तथा पत्थर ...

एकाग्रता:सफलता सफलता का मूलमंत्र

              सफलता के लिए एकाग्रता अनिवार्य  दोस्तों आज मै एक कहानी के माध्यम से अपनी बात कहने का प्रयास का रहा हूँ।वैसे यह कहानी तो बहुत पुरानी है, लेकिन इसका जो सार है वह आज भी प्रासंगिक है।                 यह कहानी भारतीय पौराणिक कथा महाभारत के एक प्रसंग पर आधारीत है। गुरु द्रोणाचार्य अपने आश्रम में सभी शिष्यों को धनुर्विद्या का प्रशिक्षण दे रहे थे। गुरु द्रोणाचार्य ने  एक बार अपने सभी शिष्यों से उनकी परीक्षा लेना चाहा। उन्होंने अपने सभी शिष्यों से पेड़ पर बैठी चिड़िया के आँख पर निशाना लगाने को कहा। तीर छोडने से पहले अपने सभी शिष्यों से बारी-बारी से एक प्रश्न किया,और पूछा की बतओ तुमको पेड़ पर क्या क्या  दीख रहा है ?तब किसी शिष्य ने कहा पेड़ की डाली ,पत्ति आदि। किसी ने कहा पेड़ पर बैठी चिड़िया। एक ने कहा गुरुजी  मुझे आप, सभी शिष्य, चिड़िया सब दिख रहा है । लगभग सभी शिष्यों का यही जवाब था। किन्तु जब अर्जुन की बारी आई तो गुरु ने अर्जुन से भी वही सवाल दोहराया तो उसने कहा- गुरुदेव मुझे सिर्फ चिड़िया...