18/8/25

खंडगिरी और उदयगिरी गुफाएँ – इतिहास की पत्थरों पर उकेरी कहानी



    स्थान: भुवनेश्वर, ओडिशा

    प्रसिद्धि: प्राचीनजैन गुफाएँ, कलात्मक शिल्पकला, ऐतिहासिक महत्व 


परिचय


भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में ओडिशा का विशेष स्थान है। यहाँ स्थितखंडगिरी और उदयगिरी गुफाएँ/ न केवल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण हैं, बल्कि भारत के प्राचीन जैन धर्म और जीवनशैली की झलक भी प्रस्तुत करती हैं। ये गुफाएँ हजारों वर्षों पुरानी हैं और आज भी अपनी अद्भुत नक्काशी और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करती हैं।


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  इतिहास की झलक


खंडगिरी और उदयगिरी गुफाओं का निर्माण ईसा पूर्व पहली शताब्दी में किया गया था। इनका निर्माण राजा खारवेल के शासनकाल में हुआ था, जो महामेघवाहन वंश के प्रतापी शासक थे। ये गुफाएँ मुख्यतः जैन संन्यासियों के निवास और ध्यान के लिए बनाई गई थीं।


उदयगिरी में कुल 18 गुफाएँ हैं, जबकि खंडगिरी में 15 गुफाएँ पाई जाती हैं। ये गुफाएँ पत्थरों को काटकर बनाई गई हैं और इन पर की गई नक्काशी से तत्कालीन समाज, संस्कृति, धार्मिक जीवन और कला के बारे में बहुत कुछ पता चलता है।


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उदयगिरी गुफाओं की विशेषताएँ


हाथीगुम्फा गुफा सबसे प्रसिद्ध है। इसमें राजा खारवेल का शिलालेख अंकित है, जो उस समय का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है।

यहाँ की गुफाओं में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ और चित्रण प्रमुखता से दिखाई देते हैं।

शिल्पकला इतनी बारीकी से की गई है कि हजारों सालों बाद भी वह जीवंत प्रतीत होती है।


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खंडगिरी गुफाओं की विशेषताएँ


खंडगिरी की गुफाएँ अपेक्षाकृत साधारण हैं, लेकिन इनमें धार्मिक महत्व की कई मूर्तियाँ हैं।

यहाँ की दीवारों पर जैन धर्म से जुड़े प्रतीकों और कथाओं की झलक मिलती है।

कुछ गुफाओं में छोटे-छोटे कमरे हैं, जहाँ संन्यासी ध्यान किया करते थे।


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  धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व


खंडगिरी और उदयगिरी गुफाएँ न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती हैं, बल्कि आज भी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल हैं। यहाँ प्रति वर्ष अनेक श्रद्धालु आते हैं और इन स्थलों की पूजा करते हैं। इसके साथ ही यह स्थान ओडिशा की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रमाण भी हैं।


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    कैसे पहुँचें?


स्थान: ये गुफाएँ ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 6-7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।

नजदीकी रेलवे स्टेशन: भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन

हवाई अड्डा: भुवनेश्वर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा


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    यात्रा के लिए सुझाव


सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है।

प्राचीन कला और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह स्थान स्वर्ग से कम नहीं।

गाइड की सहायता से आप यहाँ की कहानियों और इतिहास को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।


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  समापन


खंडगिरी और उदयगिरी गुफाएँ सिर्फ पत्थरों की संरचना नहीं हैं, बल्कि ये भारत के प्राचीन इतिहास, कला, धर्म और संस्कृति की जीवित मिसाल हैं। अगर आप कभी ओडिशा जाएँ, तो इन गुफाओं की यात्रा अवश्य करें। यह न सिर्फ आपकी जानकारी बढ़ाएगी, बल्कि आपको भारतीय विरासत पर गर्व करने का एक और कारण देगी।


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17/8/25

पुरी यात्रा गाइड: जगन्नाथ मंदिर, समुद्र तट और ओडिशा की संस्कृति का अनोखा संगम.

✨ परिचय









अगर आप भारत में घूमने के लिए एक ऐसा स्थान ढूंढ रहे हैं जहाँ धार्मिक आस्था, प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिले, तो पुरी (ओडिशा) से बेहतर जगह और कोई नहीं। पुरी को जगन्नाथ धाम भी कहा जाता है और यह हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। यहाँ का समुद्र तट, मंदिर और लोकसंस्कृति हर यात्री के लिए यादगार अनुभव बनाते हैं।


🚆 पुरी तक कैसे पहुँचें (How to Reach Puri)

पुरी तक पहुँचने के लिए कई सुविधाजनक विकल्प हैं:

  • रेल मार्ग: पुरी रेलवे स्टेशन भारत के बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • हवाई मार्ग: नज़दीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर का बीजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट है।
  • सड़क मार्ग: बस और टैक्सी सेवाएँ आसानी से उपलब्ध हैं।

🏨 पुरी में ठहरने के विकल्प (Stay in Puri)

पुरी में हर बजट के लिए ठहरने की सुविधा उपलब्ध है:

  • बीच रिसॉर्ट्स – समुद्र किनारे ठहरने का अनोखा अनुभव।
  • मंदिर के आसपास धर्मशालाएँ और बजट होटल।
  • लग्ज़री होटल – परिवार और टूरिस्ट्स के लिए आरामदायक विकल्प।

🍲 पुरी का भोजन (Food in Puri)

पुरी की यात्रा अधूरी है अगर आप यहाँ का महाप्रसाद नहीं चखते।

  • जगन्नाथ मंदिर का महाप्रसाद – मिट्टी के बर्तन में पकाया गया सात्विक भोजन।
  • स्थानीय व्यंजन – दालमा, उड़िया थाली और सीफूड।
  • मिठाइयाँ – रसगुल्ला और छेना पोड़ा यहाँ की खासियत हैं।

🌊 पुरी के दर्शनीय स्थल (Places to Visit in Puri)

  1. जगन्नाथ मंदिर – 12वीं शताब्दी का ऐतिहासिक मंदिर।
    Jagannath Temple













  2. पुरी बीच – सुबह का सूर्योदय और शाम का सूर्यास्त देखने लायक। 
                                                                                                          























कोणार्क सूर्य मंदिर – यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट 














3. चिलिका झील – बर्ड वॉचिंग और बोट राइड के लिए प्रसिद्ध। 
4. नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क – परिवारों और बच्चों के लिए खास।
5. खांडगिरी और उदयगिरी गुफाएँ – इतिहास और शांति का अनुभव।

🎉 पुरी का रथ यात्रा महोत्सव

पुरी का रथ यात्रा उत्सव विश्व प्रसिद्ध है। लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की यात्रा देखने आते हैं। यह त्योहार पुरी की संस्कृति और आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा आकर्षण है।








📝 निष्कर्ष (Conclusion)

पुरी केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि यह संस्कृति, इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता का संगम है। चाहे आप अध्यात्म की तलाश में हों या छुट्टियों का आनंद लेना चाहते हों, पुरी हर यात्री को अविस्मरणीय यादें देता है।

31/3/21

इमरजेंसी फंड

 रोटी कपड़ा और मकान के बाद आज सबसे ज्यादा जरूरी है, कि हम अपने तथा परिवार के लिए एक इमरजेंसी फंड की व्यवस्था करके रखें। आपको यह इमरजेंसी फंड न केवल आपको आर्थिक स्वतंत्रता दिलाएगा बल्कि भविष्य की आर्थिक अनिश्चितता तथा अस्थिरता को भी कम करने में आपकी मदद करेगा। अब यह सवाल उठता है कि हमारा इमरजेंसी फंड कितना होना चाहिए, तो सामान्सत़ः आज के समय में जो स्थिति है उसके हिसाब से आपके मासिक आय का 5 से 7 गुना आपके पास इमरजेंसी फंड के रूप में होना चाहिए और यह इमरजेंसी फंड आप की बचत खाता से अलग होना चाहिए। यह इमरजेंसी फंड आपको उस समय काम आएगा जब अचानक आपकी आए किसी भी कारणवश बंद हो जाए तो आपको आर्थिक झटकों से उबरने में मदद करेगा। आप इसकी शुरुआत कैसे करें आप अचानक से पैसा नहीं बचा पाएंगे इसके लिए आप धीरे-धीरे शुरुआत कर सकते हैं। शुरुआत में आपको दिक्कत आएगी लेकिन आप यह निश्चित कर ले कि आपको अपने मासिक आय का कम से कम 5 से 10 प्रतिशत हिस्से को बचत करने की कोशिश करे।ं इसके लिए भी आप खर्च से पहले बचत की सिद्धांत को अपनाएं इससे आपको अंत में बचत करने में आने वाली परेशानी से निजात मिल जाएगी। अगर आप यह सोचेंगे कि पहले खर्च करने के बाद जो बच जाएगा उसे हम जमा करेंगे तो यह आप नहीं बचा पाएंगे और हां इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी स्थिति में आपका मासिक व्यय आपके मासिक आय से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर लगातार यही स्थिति बनी रहती है तो आपको भविष्य में गंभीर आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए आप ध्यान रखें कि आपका जो मासिक व्यय है, वह आप की मासिक आय के अंदर हो।

7/3/21

धरती पर पानी की उपलब्धता

 नमस्कार दोस्तों

मेरा नाम गुलाब चन्द यादव है। आज मैं आप लोगों को अपने दैनिक जीवन में पानी के महत्तव के बारे में जानकारी दे रहा हॅॅू। जैसा कि आप सभी जानते है कि इस दुनिया में सभी जीवों के लिए पानी बहुत आवष्यक है। बीना पानी के कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता।

लेकिन क्या आपको इस धरती पर पानी की उपलब्धता के बारे में पता है।दोस्तों अब आप सोंच रहें होंगे कि इसमे नई बात क्या हेै हम सभी जानते हैं कि पुरा पृथ्वी पर तो महासागरों के रूप में जल ही जल है। जी हॅा दोस्तों हम सभी जानते हैं कि इस पृथ्वी पर तीन चैथाई भाग पर पानी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसमें से हमारे उपयोग के लायक कितना पानी है। दोस्तों सागर के पानी में विभीन्न प्रकार के लवण घुले होते है जिस कारण से यह खारा होता है। हम समुद्र के पानी का उपयोग पीने,नहाने, कपडा धोने, सिंचाई आदी के लिए इसका उपयोग नहीं कर सकते। धरती पर जीतना भी पानी उपलब्ध है उसमें से 97 प्रतिषत सागरों में है, 2 प्रतिषत बर्फ के रूप में तथा 1 प्रतिषत ही जल हमारे उपयोग के लायक हैै। जो कि नदियों, तालाबों, झीलों तथा भूमिगत जल के रूप में उपलब्ध है, जीस पर हम निर्भर हैं।

अब हम सागर के पानी का उपयोग कर नहीं सकते, बर्फ जो कि पृथ्वी के दोनो ध्रुवों पर तथा पर्वतों के चोटियांे पर है जीसको उपयोग लायक बनाने लायक संसाधन उपलब्ध नहीं है तो अब बचे 1 प्रतिषत पानी पर ही गुजारा करना हेै तो क्यों ना इसका उपयोग बहुत सोंच समझकर किया जाय तथा इसका संरक्षण पर विषेष ध्यान देने की आवष्यकता है।

23/3/19

जो नसीब में है , वो चल कर आयेगा

✍ *परमात्मा वो है जो 50 टन की व्हेल मछली को भी रोज़ाना समन्दर में पेट भर खाना खिलाता है।*
*तो फिर हम सिर्फ 2 रोटी के लिए इतना परेशान क्यों होते है !*
जो नसीब में है , *वो चल कर आयेगा...*
जो नही है, *वो आकर भी चला जायेगा...*
जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारो, *यहा से जिंदा बचकर कोई नही जायेगा...*
एक सच ये है की, *अगर जिंदगी इतनी अच्छी होती,तो हम दुनिया में रोते-रोते नही आते...* लेकिन एक मीठा सच ये भी है कें, अगर ये जिंदगी बुरी होती,तो हम जाते-जाते इतने लोगो को रुलाकर ना जाते...
*जी ले आज*
*कल किसने देखा है....*

19/3/19

आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते

दोस्तों मेरे आज के कहानी का शीर्षक है कि आप कुछ भी करिए सभी व्यक्तियों को या सभी लोगों को आप एक साथ खुश नहीं कर सकते है आप चाहे जो भी कर लीजिए आप कितना भी कुछ कर लीजिए किसी ना किसी के लिए आप में कुछ दोष या कुछ बुराई या कुछ कमी जरूर नजर आएगी तो मेरे कहने का मतलब यह है, कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से परफेक्ट नहीं है या संपूर्ण नहीं है ठीक है दोस्तों इस  इस संबंध में आपको मैं एक कहानी के माध्यम से यह बात बताना चाहूंगा, है तो दोस्तों बहुत कुछ दिन पहले की बात है कि किसी गांव में एक किसान रहता था वह किसान एक दिन अपने पुत्र के साथ अपने कृषि उत्पाद को विक्रय के लिए बाजार जाता है, बाजार में उसके उस सामान की अच्छी कीमत मिलती है उसके बाद वे दोनों जब वापस आते रहते हैं तो उनको रास्ते में या यूं कहिए बाजार में ही पशुओं के मंडी में एक  विक्रय के लिए गधा दिखाई देता है पिता पुत्र दोनों आपस में सलाह करते हैं और सोचते हैं क्यों ना हम इस गधे को खरीद लें ताकि हमारे कृषि संबंधी जो भी उत्पाद होगा उनको उठाने के लिए हमारी सहायता हो जाएगी या फिर हम हमें मदद मिल जाएगी ठीक है इसके बाद वे दोनों उस गधे को खरीद लेते हैं उसके बाद दोनों अपने घर के लिए वापस आने लगते हैंरास्ते में जब दोनों वापस आते रहते हैं पिता आगे आगे चलता है गधा बीच में और उसका पुत्र गधा को हांकता हुआ पीछे पीछे चलता है तो रास्ते में एक व्यक्ति मिलता है, और बोलता है कि यह दोनों कितने बेवकूफ हैं इस गधे में सवारी करने के बजाय इनको दोनों पैदल लेकर जा रहे हैं तो दोनों विचार करते हैं और सोचते हैं सही बात है कि हमें किसी एक को इस पर सवारी करनी चाहिए तो ऐसे सोच कर  पिता सबसे पहले अपने पुत्र को बिठा देता है और धीरे-धीरे गधे को खींचते हुए चलने लगता है चलते हो हुए आगे कुछ दूर चलने के बाद एक व्यक्ति मिलता है और उनको बोलता है कि पुत्र कितना बेशर्म है इसका पिता पैदल चल रहा है और यह मूर्ख गधे पर बैठा है जबकि होना यह चाहिए इसके पिता को गधे पर सवारी करनी चाहिए और खुद को पैदल चलना चाहिए उसके बाद पुत्र गधे से उतर जाता है, और अपने पिता जी को बोलता है कि आप इसकी सवारी करिए और मैं पैदल चलता हूं अपने पिता को बोलता है कुछ दूर चलने के बाद एक व्यक्ति और मिलता है, और टोकते हुए कहता है कि पिता बहुत ही निर्दई है इसका पुत्र इस भरी दोपहर में धूप में पैदल चल रहा है और यह गधे पर आराम से बैठकर जा रहा है तो फिर दोनों सोचते हैं कि हां ए तो सही बात है उसके बाद दोनों दोनों निर्णय लेते हैं कि हम दोनों एक साथ इस गधे की सवारी करते हैं उसके बाद दोनों उस गधे पर सवार हो जाते हैं कुछ दूर ऐसे चलने के बाद एक व्यक्ति और मिलता है वह उन दोनों को गधे पर बैठे देख के बोलता है यह दोनों आदमी कितने निर्दई हैं इस बेचारे बेजुबान जानवर पर दोनों सवारी कर रहे हैं जबकि होना यह चाहिए कि इन दोनों को पैदल चलना चाहिए और अपने साथ गधे को भी ले जाना चाहिए ठीक है तो यह सोच यह सुनकर दोनों फिर अचंभित हो जाते हैं और दोनों को समझ में नहीं आता कि अब हमें क्या करना चाहिए जब पुत्र बैठता है तब भी लोग बोलते हैं जब मैं बैठता हूं तब भी लोग बोलते हैं जब दोनों बैठते हैं तब भी लोग बोलते हैं तब हम आखिर में क्या करें तो दोनों आखिर में निर्णय करते हैं कि हम दोनों पैदल चलते हैं और गधे को अपने साथ लेकर चलते हैं तो यह सोच कर दोनों नीचे उतर जाते हैं और अपने साथ धीरे-धीरे पैदल चलते हुए गधे को भी साथ ले चलते हैं कुछ दूर ऐसे ही चलते हैं तो फिर एक व्यक्ति मिलता है और उनसे बोलता है कि दोनों कितने बेवकूफ हैं कितने पागल हैं कि दोनों गधे को पैदल चला रहे हैं तो होना यह चाहिए कि दोनों में से किसी को सवारी करना चाहिए लेकिन दोनों पिता-पुत्र का जो अनुभव था वह अच्छा नहीं था ठीक है उसके बाद दोनों फिर सोचते हैं कि अब क्या करना चाहिए हमें कुछ न कुछ तो करना चाहिए ताकि हमें लोगों का लोगों की बात ना सुनना पड़े यह सोचकर पिता पुत्र दोनों यह निर्णय लेते हैं कि हम इस गधे को ही अपने कंधे पर उठाकर ले चलते हैं जिससे कि लोग हमें कुछ नहीं कहेंगे यह सोचकर दोनों उस गधे को एक लकड़ी की बल्ली पर दोनों उसको बांध के टांग लेते हैं और दोनों अपने काँधे पर उठाकर के उसको चलने लगते हैं तो ऐसे चलते चलते कुछ दूर चलते हैं तो कुछ दूर चलने के बाद उन्हें एक व्यक्ति फिर मिलता है और बोलता है कि यह दोनों महामूर्ख हैं इस गधे की सवारी करने के बजाय ये दोनों इस गधे को ढो कर ले जा रहे हैं इनसे मूर्ख इस दुनिया में कोई नहीं है उसके बाद पिता पुत्र दोनों उस गधे को नीचे उतार देते हैं और उनके समझ में यह आ जाता है कि इस दुनिया में सभी व्यक्तियों का देखने का नजरिया अलग अलग होता है हम एक साथ सभी व्यक्तियों को अपने हिसाब से खुश नहीं रख सकते किसी व्यक्ति में जो हम काम कर रहे हैं वह किसी को सही लग सकता है लेकिन अन्यत्र किसी व्यक्ति को वही काम गलत लग सकता हैइसीलिए दोस्तों मैं आप को आप लोगों से यह बोलना चाहूँगा कि हम जो भी काम करें अपने दिल से करें बस समय यह उसके बारे में यह सोचना चाहिए कि हमारे उसका हमसे किसी और को नुकसान ना हो और हमारे जो काम है वह किसी प्रोडक्टिव काम होतो हम उस काम को जल्द से जल्द स्टार्ट कर दें नहीं तो इसी तरह से होते रहेगा

20/1/19

जो होता है अच्छे के लिए होता है.

जो होता है, अच्छे के लिए होता है


नमस्कार दोस्तों, आज मैं आप लोगों को एक कहानी बता रहा हूं जिसका शीर्षक है 'जो होता है अच्छे के लिए होता है' ठीक है. दोस्तो बहुत पहले की एक घटना है, एक राज्य में एक राजा रहता था, तो एक दिन राजा कुछ काम कर रहा था और दुर्घटनावश उसका एक हाथ का अंगूठा कट जाता है, इस बीच उसका सेनापति वहां आता है राजा दर्द से बहुत कराह रहा था. राजा को दर्द से बहुत तकलीफ हो रही थी, लेकिन उसका जो सेनापति था उसने अपने राजा से बोला महाराज जो होता है अच्छे के लिए होता है आप दुखी ना हो. तो इतना सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया और बोलता है मैं दर्द से तड़प रहा हूं और तुम मुझे बोल रहे हो जो होता है अच्छा होता है और वह अपने सेनापति पर बहुत नाराज होता है फिर अपने सैनिकों से कहता है कि इस दुष्ट को कारागार में डाल दो मैं यहां पर दर्द से तड़प रहा हूं और यह मेरे को समझा रहा है जो होता है अच्छे के लिए होता है. फिर इसके बाद उसके सैनिक उस सेनापति को जेल में डाल देते हैं लेकिन सेनापति कुछ नहीं बोलता अपने आप से कहता है जो होता है अच्छे के लिए होता है ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं तो एक दिन की बात है वह राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने के लिए जंगल जाता है, तो शिकार करते - करते वह अपने सैनिकों से बिछड़ जाता है और काफी दूर निकल जाता है. तो उसी समय उस जंगल में कुछ आदिवासी आते हैं, और आदिवासी उस राजा को पकड़कर अपने साथ ले जाते हैं. उन आदिवासियों का कुछ वार्षिक महोत्सव चलता रहता है जिसमें किसी मानव का बलि देना रहता है तो इसी उद्देश्य उस राजा को पकड़ के अपने साथ लोग ले जाते हैं और जब रात होती है तो उस राजा को बलि चढ़ाने के लिए तैयार किया जाता है. और जैसे ही उस राजा को बलि देने के लिए तैयारी पूरी हो जाती तो उसी समय एक आदिवासी की नजर उसके कटे हुए अंगूठे पर जाता है, तो वह झट से अपने सरदार को बोलता है सरदार हम इस आदमी की बलि नहीं दे सकते क्योंकि इसका एक अंग नहीं है मतलब उसका एक अंगूठा नहीं है. तो वह अपने सरदार को बोलता है,की सरदार हमारा जो देवी है वह अधूरे मानव की बलि को स्वीकार नहीं करती। फिर उनका सरदार उसे छोड़ने का आदेश देता है, फिर उस राजा को छोड़ दिया जाता है और वह धीरे-धीरे ढूंढते ढूंढते अपने राज्य में वापस आ जाता है ठीक तो उसके बाद उस राजा को समझ में आ जाता है कि उस दिन सेनापति ने उसको क्या बोला था ,राजन जो होता है अच्छे के लिए होता है फिर इसी बीच वह पछतावा करते हुए उस सेनापति के पास जाता है और उससे माफी मांगने लगता है. तो सेनापति अपने राजा से कहता है की राजन आप मुझसे माफी मत मांगिए जो होता है अच्छे के लिए होता है तो राजा फिर पूछता है कि फिर कैसे बोल रहे हो भाई जो होता है अच्छे के लिए होता है. तब सेनापति ने अपने राजा को जवाब देता है देखिए राजा उस दिन अगर मैंने आपको यह नहीं कहता कि जो होता है अच्छे के लिए होता है तो आप मुझे इस जेल में नहीं डलवाते, ठीक है अगर आप इस जेल में मेरे को नहीं डलवाते तो उस दिन शिकार करने के लिए जब आप गए थे तो आपके साथ मैं भी जाता और जब वह आदिवासी आप को पकड़कर ले जाते और तो उस दिन आपके साथ में मुझे भी वह अपने साथ ले जाते जब आप को बलि चढ़ाने के लिए करते और जब आप के कटे हुए अंगूठे को देखते तो वह आदिवासी आपको छोड़ के मुझे बलि चढ़ा देते तो इसीलिए आपने मुझे जेल में डालने का आदेश दिया इस वजह से मेरी प्राण बच गई तो इसीलिए बोलता हूं जो होता है अच्छे के लिए होता है ठीक है दोस्तों इस कहानी का मेन मोरल यह है कि हमारे साथ जो भी होता है हमें उसके बारे में पछताना नहीं चाहिए और उसके आगे की सोचना चाहिए और हमें जितना भी मिला है जैसा भी मिला है हमें भगवान का शुक्रगुजार होना चाहिए और हमें हमेशा उसके लिए शिकायत नहीं करनी चाहिए जो हमें प्राप्त नहीं हुआ है बल्कि हमें उससे खुश होने की कोशिश करना चाहिए जो हमें मिला है, या जो हमारे पास है. और उसको उससे अपना खुशी व्यक्त करते हुए और कुछ पाने की कोशिश करना चाहिए दोस्तों यह मेरा आज का कहानी था.
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